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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :172
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2708
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-1 - विद्यालय नेतृत्व एवं प्रबन्धन

प्रश्न- मध्याह्न भोजन की आवश्यकता बताइए तथा निष्पादन पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

मध्याह्न भोजन योजना देश के 2408 ब्लाकों में एक केन्द्र द्वारा प्रायोजित योजना के रूप में 15 अगस्त 1995 ई. को आरम्भ की गई थी। वर्ष 1997-98 तक यह योजना देश के सभी ब्लाकों में आरम्भ कर दी गई थी। वर्ष 2003 में इसका विस्तार नवाचारी शिक्षा के केन्द्रों में पढ़ने वाले बच्चों तक कर दिया गया है।

अक्टूबर 2007 से देश के शैक्षणिक रूप से पिछड़े 3479 ब्लाकों कक्षा 6 से 8 तक पढ़ने वाले बच्चों तक विस्तार किया गया। 2008-09 से इसका देश के सभी क्षेत्रों में उच्च प्राथमिक स्तर पर पढ़ने वाले बच्चों के लिए किया जा चुका है। 2010 में राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना में विद्यालयों को भी प्रारम्भिक स्तर पर मध्याह्न भोजन योजना के अन्तर्गत सम्मिलित किया गया है।

मध्याह्न भोजन योजना की आवश्यकता एवं उद्देश्य - भारत जैसे विशाल देश जहाँ विभिन्नताओं की बहुतायत है। यहाँ गरीब-अमीर और मध्यम वर्ग के लोग रहते हैं। जहाँ अमीर लोग अपने बच्चों के उज्जवल भविष्य के लिए अच्छे विद्यालयों में प्रवेश करा लेते हैं वहीं मध्यम वर्ग भी इसी प्रयास में जूझता रहता है किन्तु निम्न वर्ग के लिए परिषदीय विद्यालय ही अन्तिम एवं प्राथमिक विकल्प होते हैं क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति इतनी सुदृढ़ नहीं होती कि वह भी अमीरों के विद्यालयों में अपने बालकों का प्रवेश करा सके तथा उसका शैक्षिक व्यय का भार वहन कर सके। उनके आर्थिक, सामाजिक तथा शैक्षिक स्तर अत्यन्त निम्न होने के कारण न तो उनके रहन- सहन तथा पोषण युक्त भोजन की व्यवस्था उनके परिजन कर पाते हैं और न ही उनमें इस बात की इतनी समझ एवं जागरुकता होती है कि ऐसा करना उनके बाल्यों के लिए अति आवश्यक है।

शासन स्तर पर विभिन्न माध्यमों से प्राप्त सूचनाओं एवं आंकड़ों के आधार पर केन्द्र सरकार ने मध्याह्न भोजन योजना को लागू किए जाने का निर्णय इन्हीं निर्धन वर्ग के बालकों से उचित एवं पौष्टिक भोजन / पोषाहार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लिया। इसके अतिरिक्त प्राथमिक विद्यालयों में छात्र उपस्थिति एक गम्भीर समस्या बनी हुई थी जिसे सुधारने के उद्देश्य से भी सरकार ने इस योजना को लागू किया। पब्लिक स्कूलों की अपेक्षा परिषदीय विद्यालयों में प्रवेश की घटती संख्या को देखते हुए भी यह योजना लागू हुई है।

मध्याह्न भोजन योजना लागू किए जाने की आवश्यकता को निम्न बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट किया जा सकता है

1. विद्यालयों में बच्चों की भागेदारी बढ़ाना - एम.डी.एम. योजना लागू किए जाने को इसलिए आवश्यक माना गया कि इससे जहाँ एक ओर परिषदीय विद्यालयों में छात्र संख्या में वृद्धि होगी वहीं दूसरी ओर इन प्रदेशित छात्रों की उपस्थिति में भी सुधार होगा।

2. गरीब परिवारों के भोजन में सहयोग - गरीब परिवारों के बच्चे प्रायः बिना कुछ खाये-पिये ही विद्यालय आ जाते हैं ऐसे बच्चे दोपहर तक भोजन के लिए व्याकुल हो जाते हैं: जिससे अध्ययन में उनका मन नहीं लगता ऐसे बालकों की सहायता के लिए यह योजना आवश्यक है।

3. पोषण के लिए - स्वस्थ शरीर में स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण होता है। इस उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए निम्नवर्ग परिवारों में जहाँ शैक्षिक, सामाजिक तथा आर्थिक पिछड़ेपन के कारण पोषित आहार के प्रति उदासीनता रहती है। इसकी भरपायी के लिए सरकार ने इस योजना को आवश्यक माना है।

4. शैक्षिक मूल्यों के लिए आवश्यक - इस योजना को यदि सही ढंग से तथा सुनियोजित तरीके से लागू किया जाए तो छात्रों में कई अच्छी आदतों का निर्माण कर उनको शैक्षिक मूल्यों से अवगत कराया जा सकता है। जैसे सबके साथ मिलकर भोजन करना, भोजन करने के पहले तथा बाद में हाथ धोना, अपने बर्तन उठाकर रखना, पानी की बचत करना इत्यादि।

5. सामाजिक मूल्यों की शिक्षा - एम. डी. एम. योजना के सहारे सामाजिक समानता के मूल्यों को बढ़ावा दिया जा सकता है। विद्यालय में अलग-अलग सामाजिक पृष्ठभूमि के बालक- 'बालिकाएँ आते हैं। बिना किसी जाति, धर्म का भेद किए एक साथ एक पंक्ति में बैठकर भोजन करना सामाजिक समानता का भाव उत्पन्न करना है। किन्तु यह एक संवेदनशील विषय है इसमें किसी कुत्सित मानसिकता का समावेश न किया जाए।

6. लैंगिक समानता को बढ़ाव - प्रायः परिषदीय स्कूल ग्रामीण परिवेश में ही पाये जाते हैं जहाँ विद्यालयों में लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की संख्या तथा सहभागिता अत्यन्त न्यून होती है। एम. डी. एम. योजना के लागू होने से इस अन्तर को काफी मात्रा में कम किया जा सका है। इस बोजना से लड़कियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है।

7. मनोवैज्ञानिक आवश्यकता - मनोवैज्ञानिक रूप से भी एम.डी.एम. योजना अति आवश्यक है। शारीरिक रूप से कमजोर होने पर बच्चे के मन में लगातार चिन्ता व तनाव बना रहता है। इसका दुष्प्रभाव बालक के संज्ञानात्मक, भावात्मक और सामाजिक विकास पर पड़ता है। इस योजना के लागू होने से बालकों को पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है जो उनके शरीर का पोषण करता है तथा मानसिक स्वास्थ्य को सही करता है। उनका अभिवृद्धि एवं विकास संतुलित तरीके से होता है।

मध्याह्न भोजन योजना के निष्पादन का प्रभाव

भोजन मानव जीवन की प्राथमिक आवश्यकता है। भोजन का एकमात्र उद्देश्य भूख से निवृत्ति ही नहीं है, बल्कि भोजन का सम्बन्ध जीवन विकास के विभिन्न पहलुओं जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा, शैक्षिक एवं सामाजिक मूल्य, शारीरिक, मानसिक एवं संवेगात्मक विकास से जुड़ा है। आहार सुरक्षा एवं शिक्षा के अधिकार के व्यापक परिप्रेक्ष्य को ध्यान में रखते हुए देश के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों के पोषाहार स्तर में सुधार एवं गुणवत्तापरक शिक्षा हेतु उसके नामांकन एवं उपस्थिति में वृद्धि करने के उद्देश्य से केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से फ्लैगशिप कार्यक्रम के रूप में मध्याह्न भोजन योजना को आवश्यक समझते हुए संचालित की जा रही है। मध्याह्न भोजन योजना बच्चों के पूरक पोषण के स्रोत और उनके स्वास्थ्य विकास के रूप में कार्य करता है। यह योजना छात्रों के ज्ञानात्मक, भावात्मक व सामाजिक विकास में सहायक है। किसी भी योजना की सफलता हेतु लोगों की सहभागिता हो, इसके लिए कार्यक्रम के प्रति उनके दृष्टिकोण के अनुकूल होने की अपेक्षा की जाती है। एक शोध के द्वारा पाया गया कि उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के विकास खण्ड अमौली के सरकारी प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के 35 अध्यापकों के मध्याह्न भोजन योजना के प्रति दृष्टिकोण एवं इस योजना के लागू किए जाने से इनके समक्ष उत्पन्न समस्याओं से सम्बन्धित है। प्राप्त परिणाम के अनुसार -

1. 57.14% अध्यापकों का दृष्टिकोण इस कार्यक्रम के प्रति अनुकूल है।
2. 91.42% अध्यापकों का मानना है कि लागत राशि अपर्याप्त हैं तथा समय भी अपर्याप्त
3. 85.71% की राय है कि ग्राम प्रधानों का हस्तक्षेप अनाधिकृत है।
4. 57.14% की राय है कि रसद की आपूर्ति सुचारु नहीं है।
5. 54.28% का मत है कि फल एवं दूध की उपलब्धता समस्यात्मक है।
6. 51.42% अध्यापकों का मानना है कि विद्यालय में भण्डारण कक्ष का अभाव है तथा रसोइया मानदेय समय से प्राप्त न होने की समस्या है।

इस योजना के प्रति अध्यापकों का दृष्टिकोण सामान्यतः नीरस ही है। अध्यापकों ने इस हेतु अपने प्रभावी उत्तरदायित्वों के निर्वहन हेतु उचित मार्गदर्शन एवं सामाजिक गुणवत्तापरक प्रशिक्षण दिए जाने एवं वित्तीय तथा आधारिक संरचना को सुदृढ़ किए जाने की अनुशंसा की गई है।

इस योजना के प्रभावी तरीके से लागू होने से बच्चों को दोपहर का भोजन प्रदान किया जाता है जिससे बच्चों की भूख की समस्या को हल करने में मदद मिली है वहीं दूसरी ओर इस योजना लागू होने से बच्चों को एक साथ भोजन करने से उनमें सामाजिक एवं भावात्मक एकता को बढ़ावा मिला है। इस योजना के कारण विद्यालय में पढ़ने वाले बालकों के मध्य जातीय, धार्मिक, लैंगिक संकीर्णता को कम करने में सहायता मिलती है। इसे विभिन्न समूहों, समुदायों, जातियों, सम्प्रदायों के बालकों के मध्य भेदभाव को कम किया जा सका है।

यह योजना रोजगार के अवसर प्रदान करने में भी मददगार सिद्ध हुई है। एम.डी.एम. कार्यक्रम दुनिया का सबसे बड़ा मध्याह्न भोजन का सामूहिक कार्यक्रम है। 120 मिलियन से अधिक बच्चों को एक साथ भोजन कराने में कई कर्मचारियों की भी आवश्यकता होती है। इसके लिए सरकार ने 2.6 मिलियन लोगों को रसोइया और सहायक के रूप में नियुक्त कर रोजगार प्रदान किए जाने का कार्य किया है। कई समाज सेवी संस्थाए व एन.जी.ओ. भी सरकार के साथ इस योजना को चलाने में सहयोग कर रही है।

राष्ट्रीय शिक्षा कार्यक्रम के अन्तर्गत निर्धारित दिशा-निर्देशानुसार पब्लिक-प्राइवेट पार्टनीशिप PPP मॉडल को प्रोत्साहित किए जाने का उद्देश्य रखा है। इस योजना के तहत प्रयुक्त किए जाने खाद्य पदार्थों को स्थानीय बाजार से खरीदे जाने का निश्चय हुआ है। जोकि (PPP) को प्रोत्साहित करता है। मध्याह्न भोजन से छात्रों के शारीरिक एवं मानसिक विकास को गति मिली है तथा उनके कार्य निष्पादन की क्षमता एवं गुणवत्ता में सुधार हुआ है। लाभान्वित वर्ग के बालकों को नियमित रूप से विद्यालय आने और कक्षा के कार्यकलापों पर ध्यान केन्द्रित करने में भी सहायता मिली है। उनमें निरन्तर सुधार देखा जा रहा है।

यद्यपि इस योजना से जुड़े कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं जिनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जैसे भोजन बनाने में लापरवाही बरतना, साफ-सफाई व स्वच्छता का ध्यान न रखना, कई बार लापरवाही के चलते बच्चों के बीमार पड़ने की घटनाएं हुई हैं। इसके अतिरिक्त प्रधानाचार्य ग्राम प्रधान व उच्च विभागीय अधिकारियों की मिली भगत व साँठ-गाँठ से हेरा-फेरी भी की जाती है। जिससे मानक के अनुसार भोजन नहीं परोसा जाता है। छात्र संख्या अधिक दिखाकर सरकारी खजाने की लूट की जाती है। इसलिए पहली प्राथमिकता है कि छात्रों, शिक्षकों, विभागीय अधिकारियों, जन प्रतिनिधियों तथा अभिभावकों के नैतिक चरित्र को पोषण प्रदान कर उसे स्वस्थ किया जाए।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ स्पष्ट करते हुए नेतृत्व के प्रकार तथा आवश्यकता की विवेचनाकीजिए।
  2. प्रश्न- नेतृत्व के विभिन्न सिद्धान्तों का उल्लेख करते हुए नेता के सामान्य गुणों का वर्णन कीजिए।
  3. प्रश्न- शिक्षा में नेतृत्व की महत्ता की विवेचना शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षण अधिगम के क्षेत्र में विस्तार से कीजिए।
  4. प्रश्न- नेतृत्व से सम्बन्धित किन्हीं दो सिद्धान्तों को विस्तार से विवेचित कीजिये।
  5. प्रश्न- विद्यालय नेता के रूप में प्राचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  6. प्रश्न- नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
  7. प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व में नैतिकता और शिष्टाचार का उल्लेख कीजिए।
  8. प्रश्न- प्रभावी शैक्षिक नेतृत्व के विकास के सोपान को स्पष्ट कीजिए।
  9. प्रश्न- प्रजातांत्रिक व निरंकुशवादी नेतृत्व में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  10. प्रश्न- शैक्षिक नेतृत्व की अवधारणा लिखिए।
  11. प्रश्न- विद्यालय प्रशासन में ग्रिफिथ्स द्वारा कल्पित विद्यालय तन्त्र की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- विद्यालय के शैक्षिक प्रशासन में मानवीय सम्बन्धों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- प्रधानाचार्य तथा शिक्षक के सम्बन्ध पर टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- संघर्षरहित वातावरण की विशेषता स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- नेतृत्व में समूह बनाने की अवधारणा लिखिए।
  16. प्रश्न- शिक्षा के प्रबन्धन का अर्थ स्पष्ट करते हुए शिक्षा में प्रबन्ध के कार्य क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  17. प्रश्न- प्रबन्धन के महत्व को स्पष्ट कीजिये।
  18. प्रश्न- प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं? इसकी समुचित परिभाषा देते हुए विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  19. प्रश्न- शिक्षा प्रबन्धन की अवधारणा स्पष्ट करते हुए इसकी विशेषता एवं क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
  20. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के कार्यों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  21. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- शिक्षा-प्रशासन तथा शिक्षा प्रबन्ध में अन्तर समझाइए तथा शिक्षा प्रबन्ध की महत्वपूर्ण दशाएँ बताइए।
  23. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की समस्याएँ बताइए।
  24. प्रश्न- प्रबन्धन के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताये ?
  25. प्रश्न- पोस्डकॉर्ब (POSDCORB ) को स्पष्ट कीजिये।
  26. प्रश्न- कुछ प्रमुख विचारकों द्वारा बताये गये प्रबन्धन के कार्यों का उल्लेख कीजिये।
  27. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- शिक्षा प्रबन्ध के क्षेत्र को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन की आवश्यकता एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
  30. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले तत्त्व की विवेचना कीजिए।
  31. प्रश्न- शैक्षिक प्रबन्धन के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- एक अच्छे प्रबन्धक की विशेषतायें लिखिये।
  33. प्रश्न- विद्यालय में कक्षा-कक्ष प्रबन्धन से क्या आशय है? कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की प्रक्रिया को समझाइये।
  34. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन का अर्थ एवं सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्याओं का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन कौशल के प्रमुख घटक या चर कौन-से हैं ?
  37. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के उद्देश्य लिखिए ?
  38. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन को प्रभावित करने वाले कोई पाँच कारक लिखिए।
  39. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन के सिद्धान्तों की व्याख्या संक्षेप में कीजिये।
  40. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की समस्यायें बताइये?
  41. प्रश्न- कक्षा-कक्ष के प्रमुख घटक या चर कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- कक्षाकक्ष प्रबन्धन में शिक्षक की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- कक्षा-कक्ष प्रबन्धन की क्यों आवश्यकता है ?
  44. प्रश्न- टीम निर्माण की आवश्यकता बताते हुए टीम निर्माण में सम्प्रेषण के महत्व की विवेचना कीजिये?
  45. प्रश्न- सम्प्रेषण का क्या अर्थ है? इसकी आवश्यकता एवं महत्व की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? विद्यालय में सम्प्रेषण के विभिन्न स्तरों का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- सम्प्रेषण की कौन-कौन सी विधियाँ एवं प्रविधियाँ प्रयोग में लायी जाती हैं? सम्प्रेषण की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- सम्प्रेषण के आधार पर टीम निर्माण के निहित तत्वों का वर्णन कीजिये।
  49. प्रश्न- दल-निर्माण में सम्प्रेषण की अवधारणा स्पष्ट कीजिये।
  50. प्रश्न- टीम निर्माण में सम्प्रेषण के सिद्धान्तों का प्रयोग समझाइये ?
  51. प्रश्न- दल निर्माण के उद्देश्यों को स्पष्ट कीजिये।
  52. प्रश्न- सम्प्रेषण में सुधार करने के लिए दल निर्माण की भूमिका का वर्णन कीजिये।
  53. प्रश्न- सम्प्रेषण किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  54. प्रश्न- सम्प्रेषण की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- सम्प्रेषण प्रक्रिया के प्रमुख घटक कौन-कौन से हैं? उल्लेख कीजिए।
  56. प्रश्न- सम्प्रेषण की आवश्यकता तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  57. प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन में स्वोट (SWOT) विश्लेषण क्या है ? स्वोट विश्लेषण की विशेषताएँ बताइये।
  58. प्रश्न- विद्यालय प्रबन्धन की गुणवत्ता को प्रभावशाली बनाने में स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- Swot स्वोट विश्लेषण के लाभ समझाइये।
  60. प्रश्न- स्वोट विश्लेषण का मूल्यांकन कैसे किया जा सकता है? समझाइये।
  61. प्रश्न- SWOT स्वोट विश्लेषण के रूप या प्रकार बताइये।
  62. प्रश्न- स्कूल या विद्यालय का अर्थ व परिभाषा बताते हुए उसके कार्यो की विवेचना कीजिये।
  63. प्रश्न- विद्यालय और समाज एक-दूसरे पूरक एवं सहयोगी हैं, विस्तार से वर्णन कीजिए।
  64. प्रश्न- विद्यालय भवन के निर्माण, साज-सज्जा तथा रख-रखाव पर विस्तृत वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- विद्यालय भवन या निर्माण के आवश्यक घटकों का वर्णन कीजिये।
  66. प्रश्न- विद्यालय भवन से क्या तात्पर्य है? विद्यालय भवन निर्माण के आवश्यक तथ्यों का उल्लेख कीजिए।
  67. प्रश्न- विद्यालय पुस्तकालय से आप क्या समझते हैं? पुस्तकालय के उद्देश्य एवं लाभ का वर्णन कीजिए।
  68. प्रश्न- विद्यालय के प्रकारों पर प्रकाश डालिए।
  69. प्रश्न- विद्यालय भवन निर्माण के चरण (Steps) बताइये।
  70. प्रश्न- विद्यालय भवन में लर्निंग कार्नर किसे कहते हैं?
  71. प्रश्न- विद्यालय भवन के प्रमुख कक्ष पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- विद्यालय / स्कूल की मुख्य विशेषतायें समझाइये।
  73. प्रश्न- विद्यालय की आवश्यकता एवं महत्व को बताइये।'
  74. प्रश्न- भौतिक संसाधन प्रबन्धन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- विद्यालय भवन-निर्माण के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
  76. प्रश्न- विद्यालय छात्रावास पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  77. प्रश्न- विद्यालय भवन की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- 'समय सारणी शिक्षण-अधिगम के कुछ मूल सिद्धान्तों पर आधारित होती है, केवल मात्र मुख्याध्यापक की मर्जी पर नहीं।' इस कथन को स्पष्ट करते हुए समय-सारणी के निर्माण सम्बन्धी सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिये।
  79. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के प्रकार बताइये तथा कक्षा विद्यालय की समय-सारणी 'का उदाहरण दीजिये।
  80. प्रश्न- समय-सारणी चक्र का निर्माण करने के सामान्य सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  81. प्रश्न- समय सारणी चक्र के निर्माण करने के विशिष्ट सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  82. प्रश्न- समय-सारिणी चक्र के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  83. प्रश्न- विद्यालय वातावरण का अर्थ समझाइए।
  84. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के सोपान (Steps ) बताइये।
  85. प्रश्न- समय-सारणी की पाँच विशेषताओं का उल्लेख कीजिये ?
  86. प्रश्न- विद्यालय समय-सारणी के महत्व पर प्रकाश डालिए।
  87. प्रश्न- विद्यालय में समय चक्र की आवश्यकता व महत्त्व की विवेचना कीजिए।
  88. प्रश्न- समय तालिका के निर्माण में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों का वर्णन कीजिए।
  89. प्रश्न- समय तालिका निर्माण के प्रमुख सिद्धान्तों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  90. प्रश्न- प्रयोगशाला से आपका क्या तात्पर्य है? प्रयोगशाला स्थापना के सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  91. प्रश्न- एक अच्छी प्रयोगशाला से छात्रों को क्या-क्या लाभ प्राप्त हुए हैं ? साथ ही प्रयोगशाला संचालन करते समय क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए ? उसका उल्लेख कीजिए।
  92. प्रश्न- विद्यालय में प्रयोगशाला के महत्व एवं लाभ को स्पष्ट कीजिए।
  93. प्रश्न- खेल का मैदान/क्रीडास्थल पर टिप्पणी लिखिए।
  94. प्रश्न- खेल के मैदान का महत्व बताइये।
  95. प्रश्न- विद्यालय में खेल के मैदान की व्यवस्था किस प्रकार करनी चाहिए? समझाइये। उत्तर -
  96. प्रश्न- स्टाफ रूम / शिक्षक-कक्ष को स्पष्ट कीजिये।
  97. प्रश्न- कक्षा-कक्ष ( Class Room) को परिभाषित कीजिये।
  98. प्रश्न- बच्चों के अनुकूल स्कूल (Child Friendly School ) पर प्रकाश डालिए।
  99. प्रश्न- संस्थागत शासन से आपका क्या तात्पर्य है तथा संस्थागत प्रशासन में प्रधानाचार्य की भूमिका का उल्लेख कीजिये।
  100. प्रश्न- कार्मिकों (स्टाफ) की भर्ती एवं चयन प्रक्रिया को समझाइये।
  101. प्रश्न- स्टाफ ( Staff) मूल्यांकन को समझाते हुए, इसकी विशेषताएँ बताइये ?
  102. प्रश्न- स्टाफ ( शिक्षकों) के व्यावसायिक विकास को विस्तारपूर्वक समझाइये ?
  103. प्रश्न- विद्यालय में बैटक ( मीटिंग) की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की क्या भूमिका है? वर्णन कीजिये।
  104. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।
  105. प्रश्न- शिक्षा प्रशासन के प्रारूपों का वर्णन कीजिये। शिक्षा व्यवस्था के तीनों स्तरों पर प्रशासन के स्वरूप / संरचना का वर्णन कीजिये।
  106. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक प्रशासन के क्षेत्र का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन की आवश्यकता व महत्व पर प्रकाश डालिए और उसके उद्देश्यों को भी स्पष्ट कीजिए।
  108. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के आधारभूत सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  109. प्रश्न- ऐतिहासिक दृष्टि से शैक्षिक प्रशासन को कितने विभिन्न भागों में विभाजित किया जा सकता है? स्वतन्त्र भारत में शिक्षा प्रशासन की विवेचना कीजिए।
  110. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन कला है या विज्ञान? संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन का अर्थ क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  112. प्रश्न- केन्द्रीकरण एवं विकेन्द्रीकरण का अर्थ एवं विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के गुण एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  114. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के व्यापक अर्थ को स्पष्ट कीजिए।
  115. प्रश्न- बाह्य तथा आन्तरिक प्रशासन से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  116. प्रश्न- एक अच्छे शैक्षिक प्रशासक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  117. प्रश्न- विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- संस्थागत क्रियाओं के सुशासन हेतु प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- प्रधानाचार्य के पर्यवेक्षण सम्बन्धी कार्य का उल्लेख कीजिए।
  120. प्रश्न- मूल्यांकन में प्रधानाचार्य की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  121. प्रश्न- विद्यालय में मीटिंग की व्यवस्था करने में प्रधानाचार्य की भूमिका की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  122. प्रश्न- परिवेक्षण तथा पर्यवेक्षण में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  123. प्रश्न- विद्यालय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम क्या है ? इसके उद्देश्य बताइये।
  124. प्रश्न- स्वास्थ्य शिक्षा से आप कया समझते हैं? स्वास्थ्य शिक्षा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए एक अध्यापक की भूमिका का वर्णन करें।
  125. प्रश्न- विद्यालयों में बच्चों के स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले कारक कौन से हैं? विवेचन कीजिए।
  126. प्रश्न- विद्यालयीय चिकित्सा सेवा से क्या तात्पर्य है? इसके विभिन्न पक्षों और कार्यों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- योग का अर्थ बताते हुए विभिन्न विद्वानों की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। अथवा योग शिक्षा से आप क्या समझते हैं? उल्लेख कीजिए।
  128. प्रश्न- विद्यालय मध्याह्न भोजन से आप क्या समझते है ? भोजन के विभिन्न कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
  129. प्रश्न- मध्याह्न भोजन की आवश्यकता बताइए तथा निष्पादन पर इसके प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- सन्तुलित आहार से आप क्या समझते हैं? पौष्टिक आहार के विभिन्न तत्वों के स्रोतों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  131. प्रश्न- एक चिकित्सा निरीक्षण क्या है?
  132. प्रश्न- टीकाकरण (Immunization) पर अपने विचार व्यक्त करिये ?
  133. प्रश्न- उचित मुद्रा (Posture ) के महत्व पर विचार प्रकट कीजिये।
  134. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के केन्द्रीयकरण के नियम के गुणों को समझाइये।
  135. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के नियम विभिन्न विद्वानों द्वारा प्रस्तुत हैं संक्षेप में बताइये।
  136. प्रश्न- शैक्षिक प्रशासन के स्वरूप को संक्षेप में बताइये।
  137. प्रश्न- छात्रों के नियमित स्वास्थ्य निरीक्षण से होने वाले लाभों का वर्णन कीजिये।
  138. प्रश्न- कलाई की योग मुद्राओं के प्रकार बताइये।
  139. प्रश्न- चिकित्सा से सम्बन्धित शिक्षक के क्या कार्य या कर्त्तव्य होने चाहिए ?
  140. प्रश्न- मेडिकल या स्वास्थ्य रिकॉर्ड के अभिलेख का वर्णन कीजिये।
  141. प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  142. प्रश्न- स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम में अध्यापक की भूमिका का विवेचन कीजिए।
  143. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (1. शैक्षिक नेतृत्व का अर्थ एवं प्रकार)
  144. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (2. दल निर्माण)
  145. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (3. शैक्षिक प्रशासन और स्कूल )
  146. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (4. विद्यालय में एक प्रभावी कक्षा कक्ष प्रबन्धन के लिए प्रबन्धन कार्यों का उपयोग करना )
  147. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (5. दल निर्माण में सम्प्रेषण का महत्व )
  148. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (6. विद्यालय प्रबन्धन में गुणवत्ता सुधार के लिए तथा स्वोट विश्लेषण आयोजित करने के लिए शिक्षकों एवं प्रधानाचार्य का कौशल)
  149. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (7. स्कूल (विद्यालय) - उसके कार्य और समाज से सम्बन्ध)
  150. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (8. स्कूल वातावरण : अर्थ एवं प्रकार, समय-सारणी, समय-सारणी तैयार के सिद्धान्त और तकनीक)
  151. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (9. प्रयोगशाला, खेल मैदान, छात्रावास, स्टाफ रूम, कक्षा-कक्ष)
  152. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (10. संस्थागत शासन, चयन प्रक्रिया, स्टाफ का मूल्यांकन)
  153. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (11. भारत में शैक्षिक प्रशासन के सिद्धान्त और उसकी संरचना )
  154. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (12. प्रधानाचार्य विद्यालय पर्यवेक्षक के रूप में )
  155. प्रश्न- निम्नलिखित में प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए चार-चार विकल्प दिये हैं, जिनमें केवल एक सही है। सही विकल्प ज्ञात कीजिए। (13. स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम के पर्यवेक्षक )

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